Authored by Dr Harsh Sharma, Edited and Peer Reviewed by Dr. Pooja Sharma
Published September 21, 2019, Last updated September 21, 2019
सोरिएसिस एक त्वचा रोग है जो हर बार ठंड के मौसम में बढ़ जाता है। सोरिएसिस के रोगी इसी वजह से ठंड के मौसम से डरते हैं। गर्मी के मौसम में वे ठीक रहते हैं। जैसे जैसे मौसम ठंडा होने लगता है, वैसे वैसे उनकी चिंता बढ़ने लगती है। यह चिंता व्यर्थ नहीं है। उनकी त्वचा की हालत काफी बिगड़ सकती है। खुजली बहुत होती है और खुजाने से खून बहने लगता है। त्वचा पर बड़े बड़े धब्बे हो जाते हैं और उन पर श्वेत रंग के स्केल्स जैसा कि सर पर रूसी से होते हैं।
सोरिएसिस क्या है
सोरिएसिस एक ऑटो-इम्यून या स्व-प्रतिरक्षित बीमारी है जिस में त्वचा की कोशिकाएं बहुत तेज़ी से बढ़ने लगती हैं। त्वचा की कोशिकाओं का बढ़ना सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। कई बार यह सामान्य से 1000 गुना तक बढ़ जाता है। इस वजह से अपरिपक्व कोशिकाएं त्वचा की ऊपरी सतह तक आ जाती हैं। इसी वजह से त्वचा पर बड़ी बड़ी श्वेत रंग की कोशिकाएं दिखती हैं जो रूसी के जैसे दिखती हैं।
सोरिएसिस के लक्षण
- त्वचा में लाली होती है और खुजली अधिक होती है। खुजली रोगी को सबसे अधिक कष्ट देती है। कई बार यह खुजली इतनी अधिक होती है कि रोगी उसे तब तक खुजाता रहता है जब तक खून न निकल आए।
- सभी लक्षण ठंड में बढ़ जाते हैं। गर्मी का मौसम उन के लिए थोड़ा आरामदायक होता है। इस लिए जैसे ही गर्मी का मौसम आने लगता है, उन्हें आराम मिलने लगता है। इस के विपरीत जैसे ही ठंड का मौसम आने लगता है, उन की परेशानी बढ़ने लगती है।
- त्वचा भद्दी लगने लगती है। इस वजह से रोगी शर्माने लगता है और लोगों से मिलने में संकोच करने लगता है। यह और भी अधिक होता है यदि चेहरा या सर या हाथ इस रोग के शिकार हों जिन्हें रोगी किसी भी प्रकार से छुपा न सके।
- कई बार शरीर के जोड़ भी इस रोग का शिकार हो जाते हैं। जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है। इसे सोरिएटिक आर्थराइटिस कहते हैं।
सोरिएसिस के कारण
यद्द्पि यह मालूम है कि कौन सी चीज़ें इस बीमारी को बढ़ाती हैं, इस के सटीक कारणों का पूरा ज्ञान आज तक चिकित्सा विज्ञान ढूंढ नहीं पाया है। कुछ कारण जो इस रोग को बढ़ाते हैं इस प्रकार हैं –
- मोटापा – मोटे होना एक महत्वपूर्ण कारण है जिस से यह रोग बढ़ता है।
- तनाव – किसी भी प्रकार का तनाव इस रोग को बढ़ता है।
- चोट लगना – शरीर के किसी भी अंग पर चोट लगना उस अंग पर इस रोग के होने की संभावना को बढ़ाता है।
- दवाएं – कई ऐसी दवाएं हैं जिन के सेवन से सोरिएसिस के लक्षण बढ़ते हैं।
- त्वचा का सूखापन – त्वचा यदि रूखी सूखी रहती हो तो यह भी इस रोग के लक्षणों को बढ़ाती है।
सोरिएसिस संक्रामक रोग नहीं है
एक सामान्य मिथक है की सोरिएसिस एक संक्रामक रोग है। यह सत्य नहीं है। सोरिएसिस एक रोगी से किसी दूसरे इंसान को नहीं फैलती है। इस वजह से किसी भी रोगी से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सोरिएसिस का उपचार
जब हम सोरिएसिस के उपचार की बात करते हैं तो एक साधारण मान्यता है की यह बिमारी लाइलाज है। यह मान्यता ठीक नहीं है। यह एलोपैथिक उपचार प्रणाली की सोच हो सकती है। एलोपैथी में इस का उपचार स्टेरॉइड्स से ही किया जाता है। जैसे ही रोगी इन स्टेरॉइडल दवाओं का प्रयोग बंद करता है, यह बीमारी फिर से बढ़ने लगती है। उसी समय इन स्टेरॉइड्स के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। इस के विपरीत होम्योपैथिक उपचार के किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।
सोरिएसिस का होम्योपैथिक उपचार
होम्योपैथिक प्रणाली सोरिएसिस के उपचार के लिए कहीं अधिक प्रभावशाली है। यह भी ध्यान रखें कि ये दवाएं पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और इनमें कोई भी रासायनिक तत्व नहीं होते। इनका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है। ये दवाएं त्वचा में होने वाली सूजन को क्षणिक रूप से दबाने की कोशिश नहीं करती हैं। इस के विपरीत ये दवाएं इस सूजन के मूल कारणों को ठीक करने की कोशिश करती हैं। जब ये मूल कारण ठीक हो जाते हैं तो सोरिएसिस के लक्षण स्वयं ही ठीक हो जाते हैं। त्वचा बिलकुल साफ़ हो जाती है मानो कभी कुछ हुआ ही न हो।
होम्योपैथिक उपचार का एक और महत्वपूर्ण लाभ है। एक बार यह बीमारी ठीक हो जाती है तो दोबारा नहीं होती।
सोरिएसिस के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं
सर्वप्रथम यहां बताना आवश्यक है कि सोरिएसिस एक ऐसी बीमारी है जो ठीक होने में समय लेती है। इस के सटीक इलाज के लिए रोगी और चिकित्स्क दोनों को ही धैर्य के साथ चिकित्सा करते रहना चाहिए। यह इस लिए है क्यूंकि यह बीमारी ऐसी है कि इसे ठीक होने में समय लगता है। इस में तात्कालिक आराम मिलने की संभावना थोड़ी कम रहती है।
सोरिएसिस के लिए 5 सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं हैं-
ग्रेफाइट्स – कब्ज के साथ सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
मज़ीरियम – सर पर होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
आर्सेनिक आयोडेटम – त्वचा पर अनेक रंगों के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
सीपिया – त्वचा में दुर्गंध के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
थाइरॉइडीनम – मोटापे के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
ये 5 होम्योपैथिक दवाएं मेरे अनुभव के आधार पर दी जा रही हैं। अन्य चिकित्स्कों का अनुभव मेरे से भिन्न भी हो सकता है। यहां मैं यह भी बताना चाहूंगा कि कई बार इन 5 से अन्य दवाओं की भी आवश्यकता पड़ती है। यह रोगी के लक्षणों पर निर्भर करता है कि उस के लिए कौन सी दवा उपयुक्त रहेगी।
ग्रेफाइट्स – कब्ज के साथ सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
जहां रोगी को सोरिएसिस के साथ कब्ज की शिकायत मुख्यतः रहती हो, ग्रेफाइट्स तब सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। त्वचा से चिपचिपा सा रिसाव होता रहता है। त्वचा मोटी तथा सख्त सी हो जाती है। रोगी को ठंड भी अधिक लगती है और वह ठंडा मौसम सहन नहीं कर पाता है।
बाजुओं और टांगों के जोड़ों की त्वचा अधिकतर इस रोग का शिकार होती है। कई बार सोरिएसिस के साथ एक्ज़ीमा भी हो जाता है। महिलाओं में मासिक धर्म में भी कुछ अनियमितता देखी जाती है। मासिक धर्म देर से आता है और जल्द खत्म हो जाता है।
मज़ीरियम – सर पर होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
जिन रोगियों में सोरिएसिस मुख्यतः सर पर हो, उन में मज़ीरियम सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। सर की त्वचा पर मोटे और चमड़े जैसे धक्के से जम जाते हैं जिन के नीचे मवाद होता है। सर पर श्वेत रंग के धक्के से बन जाते हैं। रूसी जैसी सफ़ेद पर्त सी बन जाती है जो हाथ लगाने से झड़ने लगती है।
आर्सेनिक आयोडेटम – त्वचा पर अनेक रंगों के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब सोरिएसिस के धब्बे अनेक रंग के हों, आर्सेनिक आयोडटम सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। त्वचा रूखी सूखी होती है और खुजली होती रहती है। त्वचा उतरने लगती है। बड़े बड़े श्वेत रंग के रूसी जैसे धब्बे झड़ने लगते हैं। त्वचा के झड़ने के बाद नीचे से ज़ख्म के प्रकार से लाल दिखने लगती है। रोगी अक्सर दुबले पतले होते हैं।
सीपिया – त्वचा में दुर्गंध के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब त्वचा से दुर्गंध आती हो, सीपीआ सोरिएसिस के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। इस दवा का असर बहुत देर तक रहता है और इसे बार बार नहीं देना चाहिए। एक बार दवा देकर उस के प्रभाव को देखना चाहिए। यह दवा महिलाओं में अधिक प्रयोग होती है, ख़ास तौर पर रजोनिवृत्ति या मीनोपॉज़ के बाद। रोगी का रंग पीला पड़ चुका होता है। कमज़ोरी, चिड़चिड़ापन और उदासीनता सदा ही इस रोग के साथ देखे जाते हैं।
थाइरॉइडीनम – मोटापे के साथ होने वाली सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब सोरिएसिस के साथ मोटापा हो, थाइरॉइडिनम सोरिएसिस के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। खुजली रात के समय बढ़ जाती है। कई बार खुजली तब भी होती रहती है जब त्वचा पर कुछ भी दिखाई नहीं देता है। त्वचा बिलकुल रूखी सूखी सी दिखने लगते है।