Authored by Dr Harsh Sharma, Edited and Peer Reviewed by Dr. Pooja Sharma
Published November 29, 2019, Last updated November 29, 2019
एक त्वचा की समस्या जो किशोरावस्था में बहुत से लड़कों और लड़कियों में देखी जाती है वह है मुहांसे। इसे एक्ने या पिम्पल्स के नाम से भी जाना जाता है। इस से पहले की हम एक्ने या मुहांसों की होम्योपैथिक दवाओं के बारे में बात करें, हम इस समस्या के बारे में थोड़ा समझ लें।
यह समस्या किशोरावस्था में ही अधिकतर शुरू होती है। लेकिन हर बार ऐसा ही हो, यह आवश्यक नहीं। कई बार यह समस्या किशोरावस्था के बाद भी शुरू होती है। किशोरवस्था जाते जाते यह ठीक होने लगती है।
यहां हम केवल आम मुहांसों की बात कर रहे हैं। एक अलग समस्या होती है जो केवल लड़कियों में या महिलाओं में पाई जाती है। इसे पीसीओडी ( ) कहते हैं। इस में अंडकोषों में पानी की थैली या सिस्ट बन जाती है। इस वजह से मुहांसे होने लगते हैं। यह महिलाओं के उम्र की तीसरी या चौथी दशक तक भी देखी जाती है। यह आम एक्ने में नहीं होता।
एक्ने या मुहाँसे क्या होते हैं ?
एक्ने एक त्वचा रोग है जिस में लाल रंग के छोटे छोटे दाने हो जाते हैं। अधिकतर यह चेहरे पर देखने को मिलता है। हम इन्हें मुंहासे कहते हैं। चेहरे के साथ साथ ये छाती, पीठ और कंधों पर भी देखे जाते हैं। ये तब होते हैं जब त्वचा के सूक्ष्म छेद बंद हो जाते हैं। इस की वजह त्वचा से निकलने वाला तेल जैसा पदार्थ इन सूक्ष्म छेदों पर जम जाता है और उन को बंद कर देता है।
एक्ने या मुंहासे किस उम्र में अधिक होते हैं?
यह सर्वाधिक किशोरावस्था में देखा जाता है और जैसे जैसे उम्र बढ़ती है यह कम हो जाता है। लेकिन यह हर बार ऐसा नहीं होता। कई बार यह समस्या तीसरे या चौथे दशक तक भी चलता रहता है। जैसा कि पहले भी बता चुका हूँ, जब यह महिलाओं में पीसीओडी की वजह से होता है तो यह किशोरावस्था के बहुत बाद भी आरम्भ होता है।
एक्ने या मुहाँसों के प्रभाव
एक्ने की वजह से किशोरावस्था में बहुत मानसिक पीड़ा हो सकती है। यह उम्र की वह अवस्था होती है जब हर मनुष्य अपने चेहरे और त्वचा को लेकर बहुत चिंताजनक रहता है। लड़कियों में यह और भी अधिक देखा जाता है। जब चेहरे पे हर प्रकार के कील मुंहासे होने लगें, तो किशोरावस्था में यह चिंता स्वाभाविक है। यह चिंता और भी बढ़ जाती है क्यूंकि इस समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है।
इन मुहाँसों को छीलना या तोडना कभी भी समझदारी नहीं है हालांकि अकसर लोग यह करते हैं। ऐसा करने से चेहरे पर निशान पड़ जाते हैं। हम इस समस्या का किशोरों पर मानसिक प्रभाव समझ नहीं पाते हैं। उनका आत्मविश्वास बहुत कम हो जाता है। इस वजह से वे बहार आना जाना और लोगों से मिलना भी कम कर देते हैं।
एक्ने या मुँहासों का कारण
एक्ने या मुहाँसों के कई कारण हो सकते हैं। अधिकतर ये किशोरावस्था में होने वाले बदलाव के प्रभाव से होते हैं।
- किशोरवस्था में मानव शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। यह लड़कों और लड़कियों दोनों में देखा जाता है। इन बदलावों की वजह से चेहरे पर होने वाले मुहाँसों पर काफी प्रभाव पड़ता है।
- एक और महत्वपूर्ण कारण है तनाव। किशोरवस्था में बहुत से तनाव होते हैं। पढ़ाई का तनाव और माता-पिता का दबाव इन में कुछ मुख्य कारण हैं।
- दोस्तों और सहपाठियों का दबाव भी बहुत रहता है। बच्चों पर दूसरों से बेहतर कपड़े, गाड़ियां और अन्य चीज़ों का बहुत दबाव रहता है। जब माता-पिता ये चीज़ें उपलब्ध नहीं करवा सकते तो उन्हें बहुत मायूसी महसूस होती है।
- यहां खान-पान का भी बहुत अधिक महत्व रहता है। आजकल बाहर का खाना जिस में पाश्चात्य खाना, अधिक मिर्च मसाले भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं।
- कई लोगों के चेहरे की त्वचा से बहुत तेल जैसा पदार्थ निकलता रहता है। इस वजह से भी मुहाँसे बढ़ते हैं।
एक्ने या मुहाँसों में क्या करें और क्या न करें
- यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अपने खान-पान और जीवन शैली में कुछ बदलाव लाए जाएं।
- पानी के सेवन की मात्रा अधिक होनी चाहिए। पानी शरीर में पाए जाने वाले सभी व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकलने में मदद करता है।
- उसी समय फल और सब्ज़ियों के सेवन को भी बढ़ाना चाहिए।
- तली हुई चीज़ों का सेवन कम करना चाहिए। बाहर का खाना और पाश्चात्य खाना कम ही खाना चाहिए। प्राकृतिक चीज़ों का सेवन ही बेहतर रहता है।
- अपने चेहरे को केवल पानी से धोते रहना चाहिए। इस से चेहरे पर इकट्ठा होने वाली धूल और तेल जैसे पदार्थ त्वचा पर जम नहीं पाते।
होम्योपैथिक चिकित्सा एक्ने या मुहाँसों के लिए सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा है
होम्योपैथिक चिकित्सा इस समस्या के लिए हर प्रकार से बेहतर है। होम्योपैथी कोई भी आसान रास्ता ढूंढने की या लीपा-पोती करने की चेष्टा नहीं करती। इस समस्या के पीछे छिपे कारणों को जड़ से ठीक करने की कोशिश करती है। हालांकि इस सब में कुछ समय लगता है लेकिन इस से यह समस्या पूरी तरह ठीक हो जाती है। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि चेहरे पर पड़े दाग और धब्बे भी होम्योपैथिक दवाओं से ठीक हो जाते हैं। इस वजह से यह कहना बिलकुल ठीक है कि होम्योपैथिक चिकित्सा इस समस्या के लिए सर्वोत्तम है।
एक्ने या मुहाँसों की 5 सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं
यहाँ मैं 5 ऐसी होम्योपैथिक दवाएं बता रहा हूँ जो बहुत ही प्रभावी हैं। यह मैंने पिछले 20 सालों में कई सैंकड़ों मरीज़ों पर आज़माया है। इन दवाओं के बहुत अच्छे परिणाम देखे हैं और आज भी देख रहा हूँ।
एक्ने या मुहाँसों के लिए 5 सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवाएं हैं –
पल्सेटिला – अधिक बसा ( फैट ) वाले खाने की वजह से होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
हीपर सल्फ़र – दर्द वाले मुँहासों के लिए सर्वश्रेष्ठ दवाएं
सिलीशिया – पस वाले मुहाँसों के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
नेट्रम म्यूर – तेल के अधिक रसाव की वजह से होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
नक्स वॉमिका – पेट की समस्या के साथ होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
मुहाँसों को ठीक करने में सही दवा और उस की सही मात्रा का बहुत महत्व है। इस में थोड़ा धैर्य रखना भी बहुत आवश्यक है। सही दवा का चुनाव आसान काम नहीं है। एक अनुभवी डॉक्टर ही इसे ठीक प्रकार से कर पाता है। इस लिए किसी अनुभवी डॉक्टर से ही इस का उपचार करवाएं और स्वयं अपना उपचार करने की चेष्टा न करें।
पल्सेटिला – अधिक बसा ( फैट ) वाले खाने की वजह से होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
यह दवा बहुत ही प्रभावी है जब समस्या अधिक फैट या बसा वाला खाना खाने की वजह से हुई हो। यह पाश्चात्य खाना खाने की वजह से या केक, पेस्ट्रीज़ और आइस क्रीम खाने की वजह से हो सकता है। यह दवा लड़कियों में बहुत अच्छा काम करती है, ख़ास तौर पर जब उनको मासिक माहवारी में भी कोई समस्या हो।
रोगी किसी भी प्रकार से गर्मी नहीं सह पाता और इस वजह से गर्मियों में सभी तकलीफें बढ़ जाती हैं। प्यास बहुत कम होती है। खुली हवा में बेहतर महसूस होता है। उपरोक्त लक्षणों के साथ यह दवा बहुत ही प्रभावशाली होती है।
हीपर सल्फ़र – दर्द वाले मुँहासों के लिए सर्वश्रेष्ठ दवाएं
जब मुंहासों में दर्द हो और वह फोड़े के प्रकार के हों, तब हीपर सल्फर एक्ने के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। रोगी किसी भी प्रकार से दर्द और ठंड सहन नहीं कर पाता है। उसे पसीना भी अधिक आता है।
मानसिक लक्षण इस दवा की ओर संकेत करने में बहुत सहायक होते हैं और इस में गुस्सा बहुत अधिक होता है। छोटी छोटी बात पर चिड़चिड़ापन रहता है। रोगी किसी भी प्रकार से ठंड सहन नहीं कर पाता है।
सिलीशिया – पस वाले मुहाँसों के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
जब मुहाँसों में पस या मवाद बन रहा हो तो सिलीशीआ एक्ने के लिए एक बहुत ही श्रेष्ठ दवा है। मवाद में से बदबू आती है। रोगी किसी भी प्रकार से ठण्ड सहन नहीं कर पाता है और ठण्ड में सभी लक्षण बढ़ जाते हैं। उसे हर समय गर्मायश की आवश्यकता महसूस होती रहती है। त्वचा की सारी परेशानियां सर्दी में ही अधिक होती हैं। पसीना अधिक आता है और सर पर तो बहुत होता है। त्वचा पीली और संवेदनशील होती है।
नेट्रम म्यूर – तेल के अधिक रसाव की वजह से होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जहां एक्ने या मुँहांसे त्वचा पर अधिक तेल की वजह से होते हों वहां नेट्रम म्यूर एक श्रेष्ठ दवा है। चेहरा सदा ही तेल की वजह से चिकना और चमकता रहता है। रोगी दुबला पतला और कमज़ोर होता है। अच्छा खाना खाने के बाद भी वह कमज़ोर और दुबला पतला ही रहता है। खून की कमी अकसर होती है। धूप और गर्मी में सभी लक्षण बढ़ जाते हैं। खाने में नमक और नमकीन चीज़ें अधिक पसंद होती हैं।
नक्स वॉमिका – पेट की समस्या के साथ होने वाले मुहाँसों के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जहां एक्ने या मुँहांसे पेट की समस्या की वजह से होते हैं, उस में नक्स वॉमिका एक सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। त्वचा देखने में लाल और धब्बेदार होती है। रोगी चाय, कॉफी और मदिरा जैसी चीज़ें अधिक पसंद करता है।
पेट की समस्या बाहर का खाना खाने से और अधिक मिर्च मसाले खाने से हो सकती है। कब्ज भी अधिकतर रहती है। ठण्ड सहन कर पाना मुश्किल होता है। मानसिक तौर पर गुस्सा और चिड़चिड़ापन देखा जाता है।