Authored by Dr Harsh Sharma, Edited and Peer Reviewed by Dr. Pooja Sharma
Published June 21, 2019, Last updated June 22, 2019
छपाकी या पित्ती एक क्षणिक बिमारी है। इस बीमारी को अंग्रेजी में hives या urticaria भी कहते हैं। इस से पहले कि हम पित्ती या छपाकी के लिए होम्योपैथिक दवाओं के बारे में बात करें, हम पित्ती के बारे मैं और अच्छे प्रकार से समझ लेते हैं।
जैसा कि मैंने पहले बताया, यह एक क्षणिक बीमारी है। जब हम कहते हैं कि ये एक क्षणिक बीमारी है तो उस का अर्थ है कि ये कुछ क्षण के लिए होती है और थोड़ी देर में अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ समय बाद यह समस्या फिर हो जाती है और फिर से थोड़ी देर रहने के बाद अपने आप ठीक हो जाती है। ऐसा बार बार होता रहता है। यह जब होती है तो इस में बहुत खुजली होती है। कई बार इस में बहुत जलन भी होती है। यह खुजली और जलन इतनी अधिक होती है कि लोग किसी तीखी वस्तु से खरोंचने लगते हैं।
पित्ती या छपाकी क्या है ?
पित्ती या छपाकी एक एलर्जिक बीमारी है। इसे नैटल रैश ( nettle rash ) भी कहते हैं। यह इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस की खुजली और जलन ऐसे होती है जैसे नेटल ( nettle ) पौधे को हाथ लगाने से होती है।
यह एलर्जी कई वजह से होती है। इस के कारण की सटीक खोज मुश्किल होती है। इसे इंग्लिश में urticaria या hives भी कहते हैं। मोटे मोटे लाल रंग के धब्बे हो जाते हैं जिन्हें चकत्ते कहते हैं।
पित्ती या छपाकी के लक्षण
पित्ती या छपाकी के महत्वपूर्ण लक्षण हैं लाल रंग के मोटे मोटे चकत्ते, खुजली और जलन। यह चकत्ते छोटे या बड़े हो सकते हैं। कई बार छोटे छोटे चकत्ते मिल कर एक बड़े घेरे का रूप ले लेते हैं। ये चकत्ते शरीर के किसी भी भाग पर हो सकते हैं। अधिकतर ये छाती, पेट, पीठ, बाजुओं और टांगों पर देखे जाते हैं।
ये चकत्ते अकस्मात ही उभर आते हैं। शरीर के किसी भी अंग पर खुजली शुरू होती है। उसे खुजाने से उसी समय चकत्ते उभर आते हैं। कुछ समय बाद ये चकत्ते अपने आप ठीक हो जाते हैं। कुछ दिन बाद ये सारा चक्र दोहराया जाता है।
पित्ती या छपाकी क्यों होती है
जैसा कि मैंने पहले बताया है, यह एक एलर्जिक बीमारी है। यह एलर्जी किसी भी चीज़ के सम्पर्क में आने से हो सकती है। ये चीज़ें हमारे आस पास सभ जगह पाई जाने वाली चीज़ों में से कुछ भी हो सकती हैं। एलर्जी एक ऐसी प्रक्रिया है जिस में हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति किसी साधारण चीज़ को हमलावर मान कर उस के विरूद्ध लड़ाई आरम्भ कर देती है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति की गलती है जो छपाकी का असली कारण बन जाती है।
पित्ती या छपाकी का घरेलु उपचार
आजकल इंटरनेट पर पित्ती या छपाकी के बहुत से जादुई इलाज दिखते हैं जो इसे प्राकृतिक चीज़ों से ठीक करने का दावा करते हैं। मेरे अनुभव में जिन रोगियों ने इन्हें अपनाया, उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। अधिकतर लोगों को कुछ भी लाभ नहीं हुआ, जिन्हें थोड़ा बहुत लाभ हुआ, वह भी क्षणिक ही था। दवा बंद करते ही रोग फिर से उभर आया।
एक चीज़ जिस से रोगियों को लाभ होता है वह है नारियल का तेल। इसे निरंतर लगाते रहने से खुजली कम होती है और त्वचा को ठंडक मिलती है। रोगी इसे दिन में एक – दो बार या अधिक बार भी लगा सकते हैं। ऐसा पाया गया है कि नारियल का तेल त्वचा में होने वाली सूजन को कम करता है।
पित्ती या छपाकी का होम्योपैथिक उपचार
जब हम होम्योपैथिक इलाज की बात करते हैं तो दुनिया भर में यह पाया गया है कि यह बहुत ही प्रभावी है। ये हर उम्र के रोगियों पर बराबर असर करती हैं। यह दुनिया भर के होम्योपैथिक डॉक्टरों ने और रोगियों ने अनुभव किया है। मेरा अपना भी पिछले दो दशकों में यही अनुभव रहा है। यह रोग कितना भी पुराना हो, होम्योपैथिक दवाएं असरदार होती हैं। कुछ ही समय में यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है।
मेरा अनुभव रहा है कि चाहे लोग कितनी भी देर से एंटी एलर्जिक दवाएं खा रहे हों, होम्योपैथी उन्हें इस रोग से और एंटी एलर्जिक दवाओं से भी मुक्ति दिला देती है। एक लाभ और भी है कि होम्योपैथी का प्रभाव क्षणिक नहीं होता है। एक बार यह रोग ठीक हो जाता है तो दोबारा नहीं होता है। और यह संतोष भी होता है कि सभी दवाएं प्राकृतिक हैं और इन में कोई भी कैमिकल्स का प्रयोग नहीं हुआ है।
पित्ती के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं
2 दशकों से भी अधिक के कार्यकाल में 500 से भी अधिक पित्ती के रोगियों को ठीक करने के अनुभव से ये 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाओं का नाम बता रहा हूँ। ये दवाएं मेरे बहुत काम आईं हैं और सभी प्रकार के रोगियों पर बहुत प्रभावी रही हैं। इस का यह अर्थ नहीं है कि इन्हीं 5 दवाओं से हर प्रकार की पित्ती का उपचार हो सकता है। यह हर रोगी के लक्षणों के आधार पर निर्भर करता है कि कौन सी दवा किस रोगी पर सटीक असर करेगी।
पित्ती के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार हैं –
- एपिस मेल – जलन के साथ होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
- एस्टेक्स फ्लूविएटिस – लिवर के लक्षणों के साथ होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
- डलकामारा – ठंड से बढ़ने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
- लीडम पाल – टांगों पर होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
- नेट्रम मयूर – सूर्य से होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
एपिस मेल – जलन के साथ होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
यह पित्ती या छपाकी के लिए बहुत ही उत्तम दवा है। यह छपाकी के लिए सब से अधिक दी जाने वाली दवाओं में से एक है। इस के सब से महत्वपूर्ण लक्षणों में जलन और चुभन हैं जो कि बाकी लक्षणों के साथ सदा ही देखे जाते हैं।
त्वचा पर लाली और सूजन ऐसे हो जाती है जैसे किसी शहद की मक्खी ने डंक मार दिया हो। किसी भी प्रकार की गर्मी असहनीय होती है। गर्मी से सभी तकलीफें बढ़ जाती हैं। प्यास बहुत कम होती है और इसे न मात्र ही कह सकते हैं। ज़रा सा हाथ लगने पर खुजली और जलन बढ़ जाती है।
एस्टेक्स फ्लूविएटिस – लिवर के लक्षणों के साथ होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
यह भी पित्ती के लिए बहुत ही असरदार दवा है चाहे कितनी भी पुरानी हो। चकत्ते शरीर के किसी भी अंग पर हो सकते हैं। लिवर की बीमारी या लक्षणों के साथ होने वाली पित्ती के लिए यह सर्वोत्तम दवा है। रोगी किसी भी प्रकार से हवा को सह नहीं पाता है और जो भी अंग ढका नहीं है वहां पित्ती के लक्षण बहुत बढ़ जाते हैं।
डलकामारा – ठंड से बढ़ने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब ठंडी हवा या बारिश आदि से गीलापन पित्ती को बढ़ाता हो, तो डलकामारा बहुत ही उत्तम दवा है। खाने पीने में किसी भी प्रकार का अंतर या खट्टी चीज़ों का सेवन इसे बढ़ा सकता है। त्वचा पर लाली और खुजली होती है हालांकि त्वचा सूखी ही रहती है। स्त्रियों में मासिक धर्म के समय लक्षण अधिक होते हैं।
लीडम पाल – टांगों पर होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
पित्ती के लक्षण अधिकतर पैरों और टांगों पर देखे जाते हैं या शरीर के निचले भाग पर। यह शरीर के निचले भाग से ऊपरी भाग की ओर बढ़ता है। खुजाने से और गर्माहट से ये लक्षण बढ़ते हैं, ख़ास तोर पर बिस्तर की गर्माहट से। ठंडक से और ठंडे पानी से आराम मिलता है। ऐसे लक्षणों के साथ होने वाली पित्ती के लिए यह सर्वोत्तम दवा है।
नेट्रम मयूर – सूर्य से होने वाली पित्ती के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
घरेलू नमक से बनने वाली इस दवा का पित्ती के उपचार में बहुत प्रयोग होता है। लाली और सूजन वाले चकत्ते शरीर के किसी भी अंग पर हो सकते हैं। खुजली अत्यधिक होती है।
सूर्य की गर्मी से ये सभ लक्षण बढ़ जाते हैं। किसी भी प्रकार की शारीरिक कसरत लक्षणों को बढ़ाती है। त्वचा पर तेल सा गीलापन देखने को मिलता है। ये धब्बे बालों के आस पास और जोड़ों की त्वचा पर देखे जाते हैं।
My18 months old daughter have on her stomach and back what to do kindly let me suggest.
Please sir mujhe urticaria hoga hai mujhe achhe dba bata do please sir me bahut pareshan ho gaya hu homoeopathy medicine btana
Urticaria start 3months back cured levocetrizen 10mg oo again last month it started treated with fexofenadin hcl 180 now ok but itching is there no hives now but fear it may reoccur any remedy for permanent cure in homeopathy
Wholeheartedly thank you very much for your kind information which is absolutely correct way to define one can use medicine by matching the symptoms in absent of a Doctor nearby
Thanking you once again 🙏 🙏🙏🙏🙏🌹
Khujali
My son has Urticaria for last one yrlear plus. He was advised one cetrazine daily. Result has not been great. Want to get ot treated holistically
Regards
West selection
Hi doctor muj urtacaria ke problem hoge hai muj itching hote hai or red rash hai bath Lana ke baad rash kam hota hai .or face pa bhi swelling vote hai .which medicine is good for me to cure this problem permanent.
According to symptoms
Sabhi 5 medicine use karna hai ya lakchan ke anusar
Really nice
Please help me
Pls give me proper guide ens
My sun 9 years old and feiw months face the pitee problem.
Please suggest the medicine.
I am suffering from pitti. The symptoms are the same as mentioned in dalcamara. But the power of the media one is not mentioned. Please help