Authored by Dr Harsh Sharma, Edited and Peer Reviewed by Dr. Pooja Sharma
Published August 16, 2019, Last updated August 16, 2019
To read in English, click here
एक्ज़ीमा एक एलर्जिक त्वचा रोग है जो रोगी के लिए बहुत परेशानी का कारण बना रहता है। समस्या की बात यह है कि इसे ठीक करना कठिन है। एलोपैथिक प्रणाली में, जहां रोगी सबसे पहले और सबसे अधिक मात्रा में जाते हैं, इस बीमारी का कोई स्थाई उपचार नहीं है। इस के विपरीत होम्योपैथी में एक्ज़ीमा का उपचार बहुत प्रभावी और स्थाई है। कुछ समय अवश्य लगता है परन्तु होम्योपैथी का इलाज पूरी तरह से इसे ठीक कर देता है। इस से पहले कि हम एक्ज़ीमा के लिए होम्योपैथिक दवाओं के बारे मैं जानें, हमें एक्ज़ीमा के बारे में थोड़ा और जान लेना चाहिए।
एक्ज़ीमा क्या है
एक्ज़ीमा एक जीर्ण या लम्बा चलने वाला चर्म रोग है। एक्ज़ीमा का अर्थ है उबल कर बाहर आना। इसका मेडिकल नाम ‘डर्मेटाइटिस’ है। डर्मेटाइटिस का अर्थ है त्वचा में संक्रमण। इस लिए एक्ज़ीमा त्वचा का संक्रमण है। यह संक्रमण अधिकतर एलर्जी की वजह से होता है।
एक्ज़ीमा या डर्मेटाइटिस क्यों होता है
ऐसा अधिकतर देखा जाता है कि एक्ज़ीमा एलर्जी वजह से होता है। इसी वजह से यह कई उन परिवारों में देखा जाता है जिन परिवारों में एलर्जीस सामान्य रूप से देखी जाती हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी यह अधिक देखा जाता है।
एक्ज़ीमा के लक्षण
- एक्ज़ीमा के आम लक्षणों में लाली, खुजली, त्वचा का झड़ना और मोटा होना शामिल हैं।
- खुजली इस का सबसे मुख्य लक्षण है। कई बार खुजली इतनी अधिक होती है कि रोगी के बार बार खुजाने से खून निकल आता है।
- त्वचा के ऊपर एक मोटी पर्त सी बन जाती है जो कि चमड़े जैसी दिखने लगती है।
- कई बार इस में से रिसाव होता है। यह रिसाव पानी जैसा और चिपचिपा हो सकता है। इसे वेट एक्ज़ीमा भी कहते हैं।
- अन्य बार यह सूखा रहता है और कोई रिसाव नहीं होता है। इसे ड्राई एक्ज़ीमा कहता हैं।
एक्ज़ीमा का उपचार
अधिकतर लोग सबसे पहले अपने पारिवारिक डॉक्टर या किसी एलोपैथिक डॉक्टर के पास जाते हैं। वे सबसे पहले कोई एंटी एलर्जिक दवा देते हैं जिस से खुजली को थोड़ा आराम मिल जाए। कोई त्वचा पर लगाने वाली क्रीम दी जाती है जो उसे थोड़ा दबा देती है। इस से रोगी कुछ दिनों तक तो बेहतर महसूस करता है। परन्तु कुछ दिन बाद परेशानी फिर से बढ़ने लगती है। फिर कुछ और दवा दे दी जाती है जो पहले वाली दवा से तेज़ होती है। थोड़े समय बाद वो भी काम करना बंद कर देती हैं। इस प्रकार रोगियों का एलोपैथिक दवाओं के साथ अनुभव कोई सुखद नहीं होता क्यूंकि उन्हें कोई स्थाई आराम नहीं मिल पाता।
क्या होम्योपैथी में एक्ज़ीमा का उपचार हो सकता है ?
जैसा अभी ऊपर बतया गया है, रोगी तंग हो चुके होते हैं और किसी स्थाई उपचार को ढूंढ रहे होते हैं न कि कुछ समय के लिए राहत। इस लिए वे आकर यही सवाल पूछते हैं कि क्या होम्योपैथी में एक्ज़ीमा का कोई स्थाई उपचार है या नहीं? रोगी इस बीमारी से पूरी तरह से निजाद चाहते हैं। यहां यह बताना आवश्यक है की होम्योपैथी बीमारी के लक्षणों को दबाने में विश्वास नहीं रखती। होम्योपैथी एक्ज़ीमा को पूरी तरह और जड़ से खत्म करती है। इस प्रकरण में समय तो अवश्य लगता है परन्तु इस से हमेशा के लिए रोगी रोग मुक्त हो जाता है।
एक्ज़ीमा का होम्योपैथिक उपचार
एक्ज़ीमा, जैसा कि पहले बताया गया है, एक एलर्जिक बीमारी है। एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के बिगड़ जाने से होती है जब वह किसी सामान्य सी चीज़ के खिलाफ आवश्यकता से कहीं अधिक मात्रा में प्रतिक्रिया दिखाती है। इसी वजह से होम्योपैथी शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा कर उसे एलर्जी से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। यह दर्शाता है कि होम्योपैथी एक्ज़ीमा के मूल कारण को सुधारती है और इसी वजह से यह इलाज स्थाई होता है। जब एलर्जी का मूल कारण ही ठीक हो जाता है तो एक्ज़ीमा अपने आप पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
एक्ज़ीमा का होम्योपैथिक उपचार एलोपैथी से बेहतर कैसे है ?
एलोपैथी में एंटी एलर्जिक दवाएं दी जाती हैं जो कुछ देर तो काम करती हैं परन्तु बाद में काम करना बंद कर देती हैं। तब अक्सर स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं जो कि लगाने वाली क्रीम में या कई बार खाने के लिए भी दी जाते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं, स्टेरॉइड्स के बहुत से साइड इफेक्ट्स या नुक्सान होते हैं। कई बार तो जिस बीमारी को ठीक करने के लिए स्टेरॉइड्स दिए जाते हैं, उस बीमारी से भी अधिक तकलीफदेय इन स्टेरॉइड्स के नुक्सान होते हैं।
इस के विपरीत होम्योपैथी कोई भी नुकसानदायक दवा का प्रयोग नहीं करती है। जैसा कि अभी पहले बताया है, होम्योपैथिक दवाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं और उसे सशक्त बनाती हैं। इस से वह अपनी प्रतिक्रिया पर अंकुश लगाने में सक्षम हो जाती है और कोई एलर्जी नहीं होती।
एक्ज़ीमा के लिए 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं
अपने दो दशकों से भी अधिक अनुभव के आधार पर में ये 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाओं के बारे में बता रहा हूँ। इस का यह अर्थ नहीं है की केवल यही 5 दवाएं एक्ज़ीमा के हर रोगी को ठीक करने के लिए पर्याप्त हैं। बहुत बार रोगी के लक्षणों के आधार पर हमें इन 5 दवाओं के अतिरिक्त कोई और दवा का प्रयोग भी करना पड़ता है। फिर भी एक्ज़ीमा के होम्योपैथिक उपचार के लिए सबसे अधिक प्रयोग होने वाली 5 सर्वोत्तम होमियोपैथिक दवाएं हैं –
ग्रैफाइट्स – गाढ़े चिपचिपे रिसाव के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
मेजेरियम – पपड़ी के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
हीपर सल्फ़र – मवाद के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
डलकामारा – ठंड और बारिश के मौसम में होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
सल्फर – जलन के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
ऊपर दी गई दवाओं का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
ग्रैफाइट्स – गाढ़े चिपचिपे रिसाव के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब एक्ज़ीमा गाढ़े और चिपचिपे रिसाव के साथ हो तो उस के लिए ग्रैफाइट्स सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। सामान्यतः ऐसा रोगी मोटापे का भी शिकार होता है। उसे अक्सर कब्ज़ रहती है और पेट खुल कर साफ़ नहीं होता है। ऐसे रोगी ठंड भी सह नहीं पाते। उनकी त्वचा सूखी, सख्त और खुरदुरी होती है। यह दवा उन महिलाओं के लिए बहुत उपयुक्त है जिन्हें मासिक माहवारी में अनियमितताऐं रहती हैं। माहवारी कम होती है और बहुत जल्द बंद हो जाती है।
मेजेरियम – पपड़ी के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब एक्ज़ीमा में पपड़ी जमने लगे और अधिकतर यह सर पर हो तो उस के लिए मेजेरियम सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। सर कई बार पपड़ी से भर जाता है। यह पपड़ी चमड़े की तरह महसूस होती है। पपड़ी के नीचे मवाद इकट्ठा हो जाता है और जम जाता है। खुजली बहुत होती है और रात के समय बढ़ जाती है। रोगी अपने आप को खुली हवा में बेहतर महसूस करता है।
हीपर सल्फ़र – मवाद के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब मवाद का बनना और रिसना अधिक मात्रा में हो तो हीपर सल्फर एक सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। खुजली बहुत अधिक रहती है। त्वचा पर गहरे कट लग जाते हैं। रोगी ठंडी हवा सहन नहीं कर पाता और न ही किसी के हाथ का लगना भी सहन नहीं कर पाता। यह सब लक्षण सर्दी के मौसम में बढ़ जाते हैं। रोगी किसी भी प्रकार से ठंड सहन नहीं कर सकता एक क्षण के लिए भी गर्म कपड़े नहीं खोल सकता। किसी दूसरे कमरे का दरवाज़ा भी खुले तो वह ठंड महसूस करता है और सह नहीं पाता। एक दम से छींकें शुरू हो जाएंगी।
डलकामारा – ठंड और बारिश के मौसम में होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब एक्ज़ीमा ठंड और बारिश के मौसम में बढ़ता है तो उस के लिए डलकामारा सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। खुजली भी ठंड और बारिश के मौसम में बढ़ती है। त्वचा पर मोटी भूरी और पीले रंग की पपड़ी जम जाती है। इन में खुजली करने पर खून निकलने लगता है।
सल्फर – जलन के साथ होने वाले एक्ज़ीमा के लिए सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा
यदि एक्ज़ीमा में खुजली के साथ जलन भी होने लगती है तो उस के लिए सल्फर सर्वश्रेष्ठ होम्योपैथिक दवा है। ये लक्षण गर्मी में बढ़ जाते हैं। खुजली भी गर्मी में बढ़ जाती है और शाम के समय भी अधिक होती है। त्वचा पर और बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं। परिवार के अन्य लोगों में भी त्वचा की बीमारियां देखी जा सकती हैं। रोगी को सुबह 11 बजे बहुत भूख लगती है।
Hello doctor. My son aansh sharma is suffering from atopic dermititis, he has severe itching behind his legs.we have tried many homeopathic remedies but its not getting better.kindly suggest us medicines.